विकासनगर स्थित यमुना नदी डाकपत्थर बैराज से लेकर यमुना घाटी जल विद्युत परियोजना जो कि सरकार की एक बड़ी महत्वाकांक्षी परियोजना है। उक्त परियो...
विकासनगर स्थित यमुना नदी डाकपत्थर बैराज से लेकर यमुना घाटी जल विद्युत परियोजना जो कि सरकार की एक बड़ी महत्वाकांक्षी परियोजना है। उक्त परियोजना में अति संवेदनशील बैराज डाकपत्थर बैराज, ढकरानी बैराज, आसन बैराज, कुलहाल बैराज वह कुछ पुल जो कि ब्रिटिश कालीन 1950 के दशक के बने हुए हैं व राष्ट्रीय ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है उक्त पूरे क्षेत्र को ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट 1991 के तहत सभी बैराजों का एरिया प्रतिषिध क्षेत्र घोषित किया गया है। परंतु वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा भीमावाला मे एक खनन पट्टा आवंटित कर दिया गया है। उक्त पट्टा धारक द्वारा सभी नियमों को ताक पर रखकर खनन किया जा रहा है वही पुलों को भी खतरा बना हुवा है जिससे भविष्य में उक्त बैराजों व पीलरों को खतरा बना हुआसाथ ही पट्टा धारक द्वारा डाकपत्थर बैराज से लेकर ढकरानी तक पूरी नदी का मालिक बनकर मानकों को दरकिनार कर मालिक बन बैठा है व लीज से बाहर जा कर खनन कार्य कर रहा है सूत्रों से जानकारी यह भी मिली है कि उक्त कार्य में जुटे ट्रैक्टर एक ही रवन्ने पर पर पूरे दिन दौड़ते रहते हैं, जिसके चलते रोजाना सरकार को लाखों रुपए की चपत लगाई जा रही है। उक्त खनन से भरे ओवरलोडेड वाहन शक्ति नहर के क्षतिग्रस्त पुलों व बैराजों से गुजर रहे हैं। वर्ष 2001 में इनमें से 1 नंबर पुल पर खनन से भरे वाहन गुजरने से टूट कर क्षतिग्रस्त हो गया था। वर्ष 2006 में आई आई टी आई रुड़की के विशेषज्ञों की टीम द्वारा सभी पुलों के निरीक्षण के बाद उक्त सभी पुलों को हल्के वाहनों के लिए भी खतरनाक बताया था। परंतु हाल में चलते हुए खनन से भरे ओवरलोड वाहन बेरोक टोक उक्त क्षतिग्रस्त पुलों से गुजर रहे हैं, जो कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं। उक्त प्रकरण पर किसी सफेदपोश के संरक्षण कि बू आ रही है। इसी कारण जिम्मेदार विभागीय अधिकारी यमुना घाटी जल विद्युत परियोजना को खनन माफियाओं के हवाले कर सिर्फ हाथ मल रहे हैं। संवाददाता अनिल दूबे विकासनगर