जेएनयू में हिंसा वाले दिन 5 जनवरी को भी सर्वर रूम काम कर रहा था। सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत एक सवाल के जवाब में जेएनयू प्रशासन ने यह...
जेएनयू में हिंसा वाले दिन 5 जनवरी को भी सर्वर रूम काम कर रहा था। सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत एक सवाल के जवाब में जेएनयू प्रशासन ने यह जानकारी दी है। नेशनल कैंपेन फॉर पीपुल्स राइट टू इन्फॉर्मेशन के सदस्य सौरव दास को दी जानकारी में जेएनयू प्रशासन ने कहा कि जनवरी के पहले सप्ताह तक कैंपस में बायोमेट्रिक सिस्टम और सीसीटीवी कैमरों के साथ छेड़छाड़ नहीं हुई थी। इस जानकारी के बाद सवाल उठता है कि जेएनयू प्रशासन ने पुलिस को दी तहरीर में सर्वर रूम में 3 जनवरी को छेड़छाड़ किए जाने की बात कही थी। इसके बाद 5 जनवरी को हमलावरों के सर्वर रूम को नुकसान पहुंचाने की बात कही गई थी। विश्वविद्यालय द्वारा दी गई जानकारी में कहा गया है कि सेंटर फॉर इन्फॉर्मेशन सिस्टम (सीआईएस) में जेएनयू का मुख्य सर्वर तीन जनवरी को बंद हुआ था और अगले दिन यह ‘विद्युत आपूर्ति में बाधा की वजह से' ठप हो गया। जवाब में यह भी कहा गया है कि पांच जनवरी को अपराह्न तीन बजे से रात 11 बजे तक जेएनयू परिसर के उत्तरी/मुख्य द्वार पर लगे कैमरों की कोई पूरी सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नहीं है जिस दिन नकाबपोश लोगों ने परिसर में प्रवेश किया था और छात्रों तथा शिक्षकों पर हमला किया था। जेएनयू प्रशासन ने तीन जनवरी को दावा किया था कि नकाब पहने छात्रों के एक समूह ने सीआईएस में जबरन प्रवेश किया और विद्युत आपूर्ति बंद कर दी जिससे सर्वर, सीसीटीवी निगरानी, बायोमीट्रिक उपस्थिति और इंटरनेट सेवाएं निष्क्रिय हो गईं।आरटीआई आवेदन के जवाब में कहा गया, ‘जेएनयू का मुख्य सर्वर तीन जनवरी को बंद हुआ और अगले दिन विद्युत आपूर्ति ठप होने से ठप हो गया।’ इसमें कहा गया, ‘30 दिसंबर 2019 से आठ जनवरी 2020 के बीच कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं टूटा।
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