जिलाधिकारी ने गत 3 माह में बच्चों के संरक्षण से सम्बन्धित प्राप्त हुए विभिन्न प्रकरणों की समीक्षा करते हुए निर्देश दिये कि भिक्षावृत्ति में ...
जिलाधिकारी ने गत 3 माह में बच्चों के संरक्षण से सम्बन्धित प्राप्त हुए विभिन्न प्रकरणों की समीक्षा करते हुए निर्देश दिये कि भिक्षावृत्ति में सलंग्न बच्चों को मुख्यधारा में लाने के लिए गम्भीरता से प्रयास करें तथा इसके लिए लोगों को भी बच्चों को किसी भी प्रकार की भीख ना देने के लिए जागरूक करें। ‘‘बच्चों को भिक्षा देना कानूनी जुर्म है तथा बाल अपराध को रोकने में सहायता करें’’ को दर्शाते हुए सामान्य जन को जागरूक करने के लिए उन्होंने सार्वजनिक स्थानों पर साईनबोर्ड लगवाने तथा सिनेमाघरों में इससे सम्बन्धित सूचना प्रसारित करने के लिए लघु फिल्म/स्लाईड चलवाने के जिला बाल कल्याण समिति को निर्देश दिये। उन्होंने बालश्रम को रोकने के लिए भी अथक प्रयास करने तथा पारिवारिक रिश्तों से सम्बन्धित बालश्रम के मामलों में विशेष सावधानी बरतते हुए उसकी विभिन्न पहलुओं से जांच करते हुए वास्तविकता सामने लाने की बात कही।
जिलाधिकारी ने एक सरकारी कार्मिक के घर से पूर्व में रेस्क्यू किये गये बच्चें के सम्बन्ध में निर्देशित किया कि इस प्रकरण की विभिन्न पहलुओं से निष्पक्ष जांच करें तथा बैंक स्टेटमैन्ट के विवरण को भी आधार बनाते हुए वस्तुस्थिति को स्पष्ट करें।
जिला प्रोबेशन अधिकारी मीना बिष्ट ने जिलाधिकारी के सम्मुख विवरण प्रस्तुत किया कि विगत तीन माह में 2 प्रकरण पोक्सो अधिनियम, 10 भिक्षावृत्ति तथा 32 मामले गुमशुदा तथा अन्य प्रकरणों के बच्चों से सम्बन्धित कुल 44 मामले सामने आये। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी के दिशा-निर्देशों के अुनसार भिक्षावृत्ति करने वाले रेस्क्यू किये गये 10 बच्चों को ओपेन शैल्टर में लाया गया तथा आगे उनको शिक्षा, खान पान, स्वास्थ्य परीक्षण इत्यादि की व्यवस्था करते हुए मुख्यधारा से जोड़ा जा रहा है।
इस अवसर पर जिला बाल कल्याण समिति के सदस्य सुधीर भट्ट, बिमला नौटियाल, इन्द्रजय सिंह असवाल सहित सम्बन्धित कार्मिक उपस्थित थे।