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कांग्रेस ने मनाया बलिदान दिवस

देहरादून के नगर निगम प्रेक्षाग्रह में महात्मा गांधी के 72वें बलिदान दिवस के अवसर पर प्रदेश कांग्रेस कमिटी की ओर से एक नाटक (दांडी से खाराखे...

देहरादून के नगर निगम प्रेक्षाग्रह में महात्मा गांधी के 72वें बलिदान दिवस के अवसर पर प्रदेश कांग्रेस कमिटी की ओर से एक नाटक (दांडी से खाराखेत)का मंचन किया गया ।जिसका लेखन व निर्देशन बम्बई की मशहूर थिएटर आर्टिस्ट निवेदिता बोन्थियाल द्वारा किया गया,जिसमे गजेंद्र वर्मा एवम रोशन धस्माना की मुख्य भूमिका रही।उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष श्री प्रीतम सिंह जी ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की।इस अवसर पर श्री प्रीतम सिंह ने कहा कि दुनिया के तमाम ऐसे देश हैं जिनके इतिहास में खूनी क्रांति दर्ज हैं।  लेकिन भारत वो देश है जिसने सफ़ल अहिंसक स्वतंत्रता आंदोलन अपने नाम किया। अहिंसा के उस विचार के जनक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी थे। जिस अंग्रेजी हकूमत में कभी सूरज नहीं डूबता था, उसे बापू ने अपने अहिंसक सत्याग्रह से झुकने पर मजबूर कर दिया। ये कहते हुए गर्व होता है कि हमें उनके नेतृत्व वाली कांग्रेस का हिस्सा बनने का मौका मिला है। डेढ़ सौ साल पहले पैदा हुए गांधी ने समाज में बराबरी, समरसता, और आत्मनिर्भरता का पहले विचार दिया। और फिर उसे लागू करने के लिए खुद की जीवन शैली बदलकर, आजादी के साथ ही समाज सुधार का भी बीड़ा उठाया। लेेेकिन घृणा और झूठ की पोषक साम्प्रदायिक विचारधारा को आजादी के बाद वो स्वीकार नहीं था। उनके मंसूबे जबरन एक विचारधारा को थोपकर कट्टर समाज बनाकर भारतीयता पर चोट करने के थे। जिन्हें पूरा करने के लिए  नाथूराम गोंड़से ने 30 जनवरी 1948 को बापू की हत्या कर दी थी। लेकिन आजादी के 7 दशक बाद भी गांधी दर्शन की मौत नहीं हो पाई। लेकिन आज फिर वही सत्तानशीन  साम्प्रदायिक ताकतें  बापू के विचार को मारने
पर उतारू हैं।  समाज का धार्मिक विभाजन करने के लिए नफरत, कट्टरता, अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और सच्चाई के व्यवस्थागत दमन का सहारा लिया गया है। जिसका मुकाबला करने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्श और विचारों की जरूरत आ पड़ी है। विभाजनकारी सम्प्रदायिक एजेंडा का मुकाबला करने के लिए आज देश के विभिन्न शहरों में गांधी के सत्याग्रह का ही सहारा लिया गया है। जिससे साफ है कि जिस गांधी दर्शन का लोहा दुनिया मानती है वो अमर था और हमेशा  अमर रहेगा।
कार्यक्रम का संचालन प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री सूर्यकांत धस्माना ने आज देहरादून के नगर निगम प्रेक्षाग्रह में महात्मा गांधी के 72वें बलिदान दिवस के अवसर पर प्रदेश कांग्रेस कमिटी की ओर से एक नाटक (दांडी से खाराखेत)का मंचन किया गया ।जिसका लेखन व निर्देशन बम्बई की मशहूर थिएटर आर्टिस्ट निवेदिता बोन्थियाल द्वारा किया गया,जिसमे गजेंद्र वर्मा एवम रोशन धस्माना की मुख्य भूमिका रही।उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष श्री प्रीतम सिंह जी ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की।इस अवसर पर श्री प्रीतम सिंह ने कहा कि दुनिया के तमाम ऐसे देश हैं जिनके इतिहास में खूनी क्रांति दर्ज हैं।  लेकिन भारत वो देश है जिसने सफ़ल अहिंसक स्वतंत्रता आंदोलन अपने नाम किया। अहिंसा के उस विचार के जनक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी थे। जिस अंग्रेजी हकूमत में कभी सूरज नहीं डूबता था, उसे बापू ने अपने अहिंसक सत्याग्रह से झुकने पर मजबूर कर दिया। ये कहते हुए गर्व होता है कि हमें उनके नेतृत्व वाली कांग्रेस का हिस्सा बनने का मौका मिला है। डेढ़ सौ साल पहले पैदा हुए गांधी ने समाज में बराबरी, समरसता, और आत्मनिर्भरता का पहले विचार दिया। और फिर उसे लागू करने के लिए खुद की जीवन शैली बदलकर, आजादी के साथ ही समाज सुधार का भी बीड़ा उठाया। लेेेकिन घृणा और झूठ की पोषक साम्प्रदायिक विचारधारा को आजादी के बाद वो स्वीकार नहीं था। उनके मंसूबे जबरन एक विचारधारा को थोपकर कट्टर समाज बनाकर भारतीयता पर चोट करने के थे। जिन्हें पूरा करने के लिए  नाथूराम गोंड़से ने 30 जनवरी 1948 को बापू की हत्या कर दी थी। लेकिन आजादी के 7 दशक बाद भी गांधी दर्शन की मौत नहीं हो पाई। लेकिन आज फिर वही सत्तानशीन  साम्प्रदायिक ताकतें  बापू के विचार को मारने
पर उतारू हैं।  समाज का धार्मिक विभाजन करने के लिए नफरत, कट्टरता, अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और सच्चाई के व्यवस्थागत दमन का सहारा लिया गया है। जिसका मुकाबला करने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्श और विचारों की जरूरत आ पड़ी है। विभाजनकारी सम्प्रदायिक एजेंडा का मुकाबला करने के लिए आज देश के विभिन्न शहरों में गांधी के सत्याग्रह का ही सहारा लिया गया है। जिससे साफ है कि जिस गांधी दर्शन का लोहा दुनिया मानती है वो अमर था और हमेशा  अमर रहेगा।
कार्यक्रम का संचालन प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री सूर्यकांत धस्माना ने किया जो इस कार्यक्रम के संयोजक भी हैं।श्री धस्माना ने कहा की आज जब लोकतंत्र और संविधान पर खतरा मंडरा रहा है ऐसे में आज की युवा पीढ़ी को गांधी दर्शन से बापू की विचारधारा से अवगत कराना नितांत आवश्यक हो गया है।सभा को संबोधित करते हुए उत्तराखंड प्रदेश प्रवक्ता श्रीमती दसौनी ने कहा कि गांधी एक शरीर नही अपितु एक विचारधारा हैं जिसको आज सात दशक बाद भी खत्म नही किया जा सका,फिरकापरस्त ताकतों ने बहुत कोशिश की पर गांधी कल भी समसामयिक थे और भविष्य में भी रहेंगे, ।दसौनी ने कहा कि गाँधी की ग्राम स्वराज एवम लघु उद्योगों को बढ़ावा देने का विचार ही पलायन से निजात दिला सकता है।गांधीजी के प्रति जनता में प्रगाढ़ आस्था का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है की नगर निगम सभागार खचा खच भरा हुआ था।
कार्यक्रम में मुख्यतः पूर्व काबीना मंत्री श्री मातवर सिंह कंडारी,श्री अशोक वर्मा,श्री संजय किषोर, श्री ताहिर अली श्री राजेन्द्र शाह श्री आर पी रतूड़ी,श्रीमति गरिमा दसौनी,परिणीता डोभाल ,मंजुला तोमर,सावित्री थापा, कमलेश रमन,बाला शर्मा,देवेंद्र बुटोला,सीताराम नौटियाल,महेश जोशी,मोहन काला, प्रदीप थपलियाल राजेश शर्मा इत्यादि भारी संख्या में लोग मौजूद थे।किया जो इस कार्यक्रम के संयोजक भी हैं।श्री धस्माना ने कहा की आज जब लोकतंत्र और संविधान पर खतरा मंडरा रहा है ऐसे में आज की युवा पीढ़ी को गांधी दर्शन से बापू की विचारधारा से अवगत कराना नितांत आवश्यक हो गया है।सभा को संबोधित करते हुए उत्तराखंड प्रदेश प्रवक्ता श्रीमती दसौनी ने कहा कि गांधी एक शरीर नही अपितु एक विचारधारा हैं जिसको आज सात दशक बाद भी खत्म नही किया जा सका,फिरकापरस्त ताकतों ने बहुत कोशिश की पर गांधी कल भी समसामयिक थे और भविष्य में भी रहेंगे, ।दसौनी ने कहा कि गाँधी की ग्राम स्वराज एवम लघु उद्योगों को बढ़ावा देने का विचार ही पलायन से निजात दिला सकता है।गांधीजी के प्रति जनता में प्रगाढ़ आस्था का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है की नगर निगम सभागार खचा खच भरा हुआ था।
कार्यक्रम में मुख्यतः पूर्व काबीना मंत्री श्री मातवर सिंह कंडारी,श्री अशोक वर्मा,श्री संजय किषोर, श्री ताहिर अली श्री राजेन्द्र शाह श्री आर पी रतूड़ी,श्रीमति गरिमा दसौनी,परिणीता डोभाल ,मंजुला तोमर,सावित्री थापा, कमलेश रमन,बाला शर्मा,देवेंद्र बुटोला,सीताराम नौटियाल,महेश जोशी,मोहन काला, प्रदीप थपलियाल राजेश शर्मा इत्यादि भारी संख्या में लोग मौजूद थे।