पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और रिहैब इंडिया फाउंडेशन के सदस्य आज प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पहुंचे। इन दोनों संगठनों का नाम सीएए विरोधी हिं...
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और रिहैब इंडिया फाउंडेशन के सदस्य आज प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पहुंचे। इन दोनों संगठनों का नाम सीएए विरोधी हिंसा में सामने आया था। जिसके बाद ईडी ने इन्हें पूछताछ के लिए समन जारी किया था। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के वकील केसी नजीर ने कहा कि हम ईडी से अपना जवाब दाखिल करने के लिए दो महीने का समय मांग रहे हैं। हमारे अध्यक्ष (पीएफआई) कैंसर से पीड़ित हैं और वह स्वास्थ्य के मुद्दों के कारण आने में असमर्थ हैं। बता दें कि ईडी ने एक रिपोर्ट में दावा किया था है कि पीएफआई ने 73 खातों में बड़ी रकम ट्रांसफर की थी। इनमें देश के कई नामी वकीलों के नाम भी लिए गए हैं। गृह मंत्रालय को पत्र लिखते हुए ईडी ने बैंक खातों में ट्रांसफर पैसा और हिंसा की तारीखों के बीच संबंध जोड़ने की कोशिश की है। पिछले साल दिसंबर में यूपी के कई स्थानों पर सीएए के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया था। गृह मंत्रालय को भेजे गए पत्र में ईडी ने सीएए के खिलाफ उत्तर प्रदेश में हुए प्रदर्शन और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के बीच सीधा संबंध बताया है। ईडी ने बैंक खातों में धन जमा करने की तारीखों और सीएए विरोध की तारीखों के बीच परस्पर संबंध दिखाया है। इस मामले में नाम आने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने सीधे तौर पर इन आरोपों से इनकार किया। सिब्बल ने कहा कि उन्होंने हादिया का केस लड़ा था, जिसके बदले उन्होंने 2017 और 2018 के बीच प्रोफेशनल फीस ली थी। मगर सीएए से इसका कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि सीएए से जुड़े मामलों का केस लड़ने पर उन्होंने एक पैसा फीस नहीं ली। कपिल सिब्बल ने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा, जब उन्होंने प्रोफेशनल फीस ली थी तब उन्हें पता नहीं था कि अमित शाह गृहमंत्री बनेंगे और संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक पास हो जाएगा।