प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीएम त्रिवेंद्र की मुलाकात के बाद अब सबकी निगाहें मुख्यमंत्री के अगले कदम पर लगी है। उनके दिल्ली से लौटने के ...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीएम त्रिवेंद्र की मुलाकात के बाद अब सबकी निगाहें मुख्यमंत्री के अगले कदम पर लगी है। उनके दिल्ली से लौटने के बाद भाजपा के हलकों में यह चर्चा खासी गर्म है कि अगले कुछ दिनों में प्रदेश मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है। कैबिनेट में फेरबदल की इन संभावनाओं के बीच कतार में खड़े कई दावेदार भी एक्शन में आ गए हैं। सूत्रों की मानें तो उन्होंने अपनी दावेदारी तेज कर दी है। जोड़तोड़ की कवायद को अंजाम देने के लिए वे संगठन और संघ के वरिष्ठ नेताओं की परिक्रमा करने में जुट गए हैं।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में क्षेत्रीय और जातीय समीकरण को तरजीह दिए जाने के बाद यही फार्मूला मंत्रिमंडल के विस्तार पर लागू होने की प्रबल संभावनाएं जताई जा रही हैं। यदि ऐसा होता है तो चर्चाओं में सबसे आगे चल रहे दावेदारों को झटका लग सकता है। बहरहाल, मुख्यमंत्री ने कैबिनेट विस्तार करने के संकेत तो दिए है, लेकिन ये कब होगा, इस बारे में अभी रहस्य ही बना हुआ है। पीएम से मुलाकात के बाद संगठन के भीतर इस बात की चर्चा है कि उन्हें कैबिनेट विस्तार को लेकर ग्रीन सिगनल मिल चुका है। त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल में सिर्फ तीन सीटें खाली हैं, लेकिन दावेदारों की संख्या अधिक है। विस्तार की संभावनाओं के बाद से दावेदारों को लेकर चर्चाओं का बाजार भी गर्मा रहा है। पार्टी नेताओं की मुलाकातों और दौरों को कैबिनेट विस्तार से जोड़कर देखा जा रहा है। वर्तमान में प्रदेश मंत्रिमंडल में गढ़वाल में देहरादून से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, हरिद्वार से मदन कौशिक, टिहरी से सुबोध उनियाल, पौड़ी से सतपाल महाराज व हरक सिंह रावत कैबिनेट मंत्री हैं और धन सिंह रावत राज्यमंत्री। कुमाऊं में ऊधमसिंह नगर से यशपाल आर्य और अरविंद पांडेय कैबिनेट मंत्री और अल्मोड़ा से रेखा आर्य राज्यमंत्री हैं। पिथौरागढ़ से प्रकाश पंत कैबिनेट मंत्री थे। उनके निधन से इस जनपद का प्रतिनिधित्व खत्म हो गया है। देहरादून जिले से प्रेमचंद अग्रवाल को स्पीकर और अल्मोड़ा से रघुनाथ सिंह चौहान को विधानसभा उपाध्यक्ष बनाया गया है। दोनों नेताओं का रुतबा कैबिनेट मंत्री के बराबर ही है। गढ़वाल में चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी और कुमाऊं में नैनीताल, पिथौरागढ़, चंपावत और बागेश्वर को कैबिनेट में प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। पिछले काफी समय से इन जिलों से प्रतिनिधित्व की आवाज उठती रही है। देहरादून से मुन्ना सिंह चौहान, खजानदास, स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल, हरबंस कपूर, हरिद्वार से स्वामी यतीश्वरानंद, आदेश चौहान, संजय गुप्ता, चमोली से महेंद्र भट्ट के नाम चर्चा में हैं। कुमाऊं में ऊधमसिंह नगर से पुष्कर सिंह धामी, राजेश शुक्ला, पिथौरागढ़ से बिशन सिंह चुफाल, बागेश्वर से बलवंत सिंह भौर्याल, चंपावत से कैलाश चंद्र गहतोड़ी, अल्मोड़ा से सुरेंद्र सिंह जीना के नामों की खूब चर्चा है। त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल में गठन के समय तीन ब्राह्मण, सीएम समेत चार ठाकुर एक अनुसूचित जाति और एक महिला मंत्री हैं। पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत के निधन के बाद अब मंत्रिमंडल में दो ब्राह्मण मंत्री सुबोध उनियाल और अरविंद पांडेय रह गए हैं। संतुलन बनाने के लिए मंत्रिमंडल में एक ब्राह्मण और दो ठाकुर मंत्री बनाए जाने की संभावना है। यदि जातीय व क्षेत्रीय संतुलन को आधार बनाया जाता है तो कई दिग्गज दावेदारों के अरमानों पर पानी फिर सकता है।