समाजवादी पार्टी के पूर्व एमएलसी उमर अली खान की मां की 41 बीघा जमीन योगी सरकार ने सरकारी संपत्ति घोषित कर दी। यह फैसला सहारनपुर के अपर जिला...
समाजवादी पार्टी के पूर्व एमएलसी उमर अली खान की मां की 41 बीघा जमीन योगी सरकार ने सरकारी संपत्ति घोषित कर दी। यह फैसला सहारनपुर के अपर जिलाधिकारी (राजस्व) विनोद कुमार की कोर्ट के आदेश के बाद लिया गया है।
दिल्ली के जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद बुखारी के दामाद और समाजवादी पार्टी के पूर्व एमएलसी उमर अली खान को मंगलवार को बड़ा झटका लगा है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने खान की मां के नाम दर्ज 41 बीघा जमीन को सरकारी जमीन घोषित कर दिया है। तकरीबन 22 साल चली कानूनी लड़ाई के बाद अब यह जमीन यूपी सरकार के नाम हो गई है।
यह फैसला सहारनपुर के अपर जिलाधिकारी (राजस्व) विनोद कुमार की कोर्ट के आदेश के बाद लिया गया है। बताया जाता है कि पूर्व एमएलसी उमर अली की मां बिस्मिल्ला खान एक जमीदार परिवार से हैं। उनकी सदर तहसील के अन्तर्गत गांव बरथा कायस्थ में जमीन है। 17 जनवरी 1997 को तत्कालीन लेखपाल राजेन्द्र प्रसाद ने यह रिपोर्ट दी थी कि बिस्मिल्ला बेगम के पास अधिकतम जोत सीमा आरोपण अधिनियम, 1960 की धारा 10(2) के अन्तर्गत निर्धारित सीमा से अधिक जमीन है।
साल 1997 में जारी किया गया था नोटिस इसके बाद नियमानुसार 5 मई 1997 को खान को नोटिस जारी किया गया था। इसके बाद ही यह मामला अपर जिलाधिकारी (राजस्व) की अदालत में आया। यहां से प्रभावित पक्ष मामले को लेकर हाई कोर्ट जा पहुंचा। हालांकि, हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद पैरवी के अभाव मे उनकी याचिका निरस्त कर दी थी। इसके बाद यह मामला फिर से अपर जिलाधिकारी (राजस्व) की अदालत में आ गया और लंबी सुनवाई और बहस के बाद पूर्व एमएलसी उमर अली की मां की 41 बीघा भूमि को सरकार के पक्ष में करने का आदेश दिया। इस फैसले के बाद यूपी की सियासत में हलचल तेज हो गई है।
यह फैसला सहारनपुर के अपर जिलाधिकारी (राजस्व) विनोद कुमार की कोर्ट के आदेश के बाद लिया गया है। बताया जाता है कि पूर्व एमएलसी उमर अली की मां बिस्मिल्ला खान एक जमीदार परिवार से हैं। उनकी सदर तहसील के अन्तर्गत गांव बरथा कायस्थ में जमीन है। 17 जनवरी 1997 को तत्कालीन लेखपाल राजेन्द्र प्रसाद ने यह रिपोर्ट दी थी कि बिस्मिल्ला बेगम के पास अधिकतम जोत सीमा आरोपण अधिनियम, 1960 की धारा 10(2) के अन्तर्गत निर्धारित सीमा से अधिक जमीन है।
साल 1997 में जारी किया गया था नोटिस इसके बाद नियमानुसार 5 मई 1997 को खान को नोटिस जारी किया गया था। इसके बाद ही यह मामला अपर जिलाधिकारी (राजस्व) की अदालत में आया। यहां से प्रभावित पक्ष मामले को लेकर हाई कोर्ट जा पहुंचा। हालांकि, हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद पैरवी के अभाव मे उनकी याचिका निरस्त कर दी थी। इसके बाद यह मामला फिर से अपर जिलाधिकारी (राजस्व) की अदालत में आ गया और लंबी सुनवाई और बहस के बाद पूर्व एमएलसी उमर अली की मां की 41 बीघा भूमि को सरकार के पक्ष में करने का आदेश दिया। इस फैसले के बाद यूपी की सियासत में हलचल तेज हो गई है।