यमकेश्वर प्रखंड के कई गांवों में हिमालयन काले भालू के आतंक के चलते दर्जनों पशु अपनी जान गंवा चुके है वही ग्रामीणों में भी दहशत व्याप्त हो गय...
यमकेश्वर प्रखंड के कई गांवों में हिमालयन काले भालू के आतंक के चलते दर्जनों पशु अपनी जान गंवा चुके है वही ग्रामीणों में भी दहशत व्याप्त हो गयी है।
यमकेश्वर विधानसभा के भेलड़ूंगा, सिन्दूडी, कुमराणा, बुंगा, उमड़ा, इडिया व ट्वाल सहित कई गांवों में आजकल ग्रामीण हिमालयन काले भालू के आतंक से भयभीत है जो रात के अंधेरे में ग्रामीणों की गौशालाओं में घुसकर पशुओं की अपना निवाला बना रहा है, स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता महिपाल सिंह पयाल ने बताया कि प्रति वर्ष उक्त गांवों में अज्ञात किस्म के जंगली जानवर द्वारा गौशालाओं की पत्थरों की पटाली वाली छत के पत्थरों को हटाकर गौशालाओं में प्रवेश कर जाता है और अंदर बन्धे पशुओं को अपना निवाला बना डालता है।
वही ग्रामीण विपिन पेटवाल ने बताया कि उक्त जानवर रात के घने अंधेरे का लाभ उठाकर गौशालाओं में बंधे पशुओं को मार डालता है जिसकी शिकायत उन्होंने वन महकमे के उच्चाधिकारियों को की जा चुकी है इसके बावजूद भी वन महकमा ग्रामीणों व उनके पशुओं की सुरक्षा के प्रति कोई कदम नही उठा रहा है।
वही दूसरी ओर उमड़ा ग्रामसभा के पूर्व प्रधान विमल कपरूवान ने बताया कि उनके गांव में प्रति वर्ष उक्त जानवर ग्रामीणों के पशुओं को अपना निवाला बना रहा है जिस कारण ग्रामीणों को रात के अंधेरे में अपने पशुओं को बचाने के लिए रात्री में जागकर चौकीदारी करनी पड़ रही है।
जबकि ग्रामसभा कुमराणा की पूर्व प्रधान सरिता देवी ने बताया कि उक्त जंगली आतंकी जानवर की दहशत के चलते गाँव की महिलायें रात्री में अपने पशुओं को चारा देने जाने से कतरा रही है वही दोपहर के समय जंगल से पशुओं के लिए चारा-पत्ती लाने के लिए भी नही जा पा रही है। उन्होंने वन महकमे से मांग करी की या तो उक्त जानवर को पकड़ा जाये या फिर उसे मारा जाये।
दूसरी ओर लालढांग वन रेंज से वन क्षेत्राधिकारी बिन्दर पाल ने बताया कि उक्त जानवर हिमालयन काला भालू है जो सर्दियों के दौरान लगभग दो माह के लिए मैदानी क्षेत्रों के पर्वतीय गाँवो में उतर आता है और ग्रामीणों के पशुओं को अपना निवाला बनाता है वही उन्होंने बताया कि उक्त काला भालू पशुओं को मारकर उनकी चर्बी को खा जाता है जिससे वह हिमालयी क्षेत्रों में बर्फ के दौरान अपने शरीर मे गर्मी बनाये रख सके, उन्होंने यह भी बताया कि उक्त ग्रामीण क्षेत्रों में वन कर्मियों को गश्त पर भेजा गया है, जिससे ग्रामीणों व पशुओं को सुरक्षा प्रदान की जा सके।