- सपने देखने से सपने साकार नहीं होते सपने साकार करने के लिए हौसला और जज्बा होना जरूरी है क्योंकि डर के आगे ही जीत है और यह हौसला और जज्बा...
- सपने देखने से सपने साकार नहीं होते सपने साकार करने के लिए हौसला और जज्बा होना जरूरी है क्योंकि डर के आगे ही जीत है और यह हौसला और जज्बा लक्सर के दिग्विजय सिंह मैं दिखाई दिया ऐसा हम इसलिए भी कह रहे हैं लक्सर के दिव्यांग दिग्विजय सिंह ने मोहाली चंडीगढ़ में राष्ट्रीय स्तर की कार रेस मैं दूसरा स्थान प्राप्त किया है अपने परिवार का ही नहीं बल्कि उत्तराखंड प्रदेश का नाम भी रोशन किया है
आपको बता दें ओया के द्वारा मोहाली चंडीगढ़ में आयोजित की गई राष्ट्रीय मोटो क्रॉस रेस में लक्सर के दिव्यांग दिग्विजय सिंह ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया इस रेस में 8 खिलाड़ियों ने भागीदारी निभाई थी दिव्यांग दिग्विजय सिंह इस रेस को 1 मिनट49 सेकंड में पूरा किया यह रेस ऑफ रोड की रेस थी जो कि बहुत ही खतरनाक होती है जहाआम आदमी भी गाड़ी चलाते हुए कठिन महसूस करता है वही दिग्विजय ने इस पर रेस लगाई तमाम मुश्किलों के बावजूद भी हिम्मत नहीं हारी और बल्कि दूसरा स्थान प्राप्त कर अपने लकसर क्षेत्र के साथ-साथ अपने प्रदेश का नाम भी रोशन किया है दिग्विजय सिंह दोनों ही पैरों से दिव्यांग है और 80% दोनों ही पैर खराब है मगर अपने हौसलों के बल पर कार रेस में दूसरा स्थान प्राप्त किया है इससे पहले भी दिग्विजय सिंह बाइक रेस में इंदौर में राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेकर तीसरा स्थान भी प्राप्त कर चुके हैं दिग्विजय सिंह ने बताया कि यह कार प्रतियोगिता चंडीगढ़ में ओया का नोवा एडिशन था F1 कैटेगरी में खेलते हुए द्वितीय स्थान प्राप्त किया राष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने कहा कि यह स्पीड का खेल है हम लोगों के लिए बहुत बड़ी चुनौती है एक दिव्यांग के लिए सामान्य लोगों के तरह ट्रैक् पर गाड़ी दौड़ाना बड़ी बात होती है बिना हैंड कंट्रोल के कार चलाना बहुत बड़ी बात होती है अपने राज्य के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है मैं तो यही कहूंगा कि कभी भी हार नहीं माननी चाहिए सुख दुख तो हमेशा लगे रहते हैं कब कौन सी उपलब्धि हमारा इंतजार कर रही है और कहां पर कर रही है यह नहीं पता लेकिन हमको बिना हार माने हमेशा आगे बढ़ना चाहिए उन्होंने इस उपलब्धि के लिए अपने माता पिता को श्रेय दिया और कहा कि मैं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कुछ करके दिखाऊंगा