उत्तराखंड में प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर उत्तराखंड एससी-एसटी इम्पलाइज फेडरेशन और जनरल-ओबीसी कर्मचारी संगठन आमने-सामने आ गए हैं। सुप्र...
उत्तराखंड में प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर उत्तराखंड एससी-एसटी इम्पलाइज फेडरेशन और जनरल-ओबीसी कर्मचारी संगठन आमने-सामने आ गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से ही प्रदेश सरकार ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है......जिससे दोनों कर्मचारी संगठन नाराज है और अब आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है
उत्तराखंड में प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर उत्तराखंड एससी-एसटी इम्पलाइज फेडरेशन और जनरल-ओबीसी कर्मचारी संगठन आमने-सामने आ गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से ही प्रदेश सरकार ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है। इसके चलते दोनों ही संगठनों ने आंदोलन का एलान किया है......जिसके तहत जनरल ओबीसी कर्मचारी इम्पलाइज फेडरेशन 20 फरवरी को परिवार के साथ सड़कों पर उतरने जा रहे हैं....एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि 7 फरवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद भी सरकार ने प्रमोशन पर रोक नहीं हटाई है। पिछले पांच महीनों से सभी विभागों में हजारों कर्मचारियों की प्रमोशन रुकी हुई है। सरकार व शासन को प्रमोशन पर रोक हटाने के लिए 19 फरवरी तक का समय दिया है इसके बाद आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी
जनरल ओबीसी के फैडरेशन के प्रदर्शन के बाद उत्तराखंड एससी-एसटी इम्पलाइज फेडरेशन ने भी आंदोलन की रूपरेखा को तैयार कर लिया है उत्तराखंड एससी-एसटी इम्पलाइज फेडरेशन के अध्यक्ष करम राम ने बताया कि 23 फरवरी को प्रदेश के सभी जिलों में एससी-एसटी कर्मचारी धरना प्रदर्शन कर जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजेंगे। इसके बाद आंदोलन के अगले चरण में मार्च माह के प्रथम सप्ताह में देहरादून में प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर एससी-एसटी कर्मचारियों का राष्ट्रीय सम्मेलन किया जाएगा, जिसमें देश के सभी राज्यों से एससी-एसटी कर्मचारी संगठन को आमंत्रित किया जाएगा। इस सम्मेलन में प्रमोशन में आरक्षण की लड़ाई को राष्ट्रीय स्तर पर लड़ने का निर्णय लिया जाएगा।
कुल मिलाकर प्रमोशन में आरक्षण का मुद्दा दिन प्रतिदिन जटिल होता जा रहा है सरकार किसी भी वर्ग को नाराज नहीं करना चाहती है शायद यही वजह है कि अबतक सरकार इस संबंध में कोई निर्णय नहीं ले पाई है लेकिन कर्मचारियों की इस आर पार की लड़ाई के बाद सरकार में दबाव तो जरूर बढ़ गया है देखना होगा प्रचंड बहुमत की सरकार क्या जल्द इस मामले में अंतिम निर्णय ले पाती है या नहीं