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CIPLA के मालिक यूसुफ हमीद बनाएंगे Covid-19 की दवा, कहा- टेस्टिंग किट और दवाई फ्री

चीन के वुहान शहर से शुरू हुए कोरोना वायरस की चपेट में दुनियाभर के लाखों लोग आ चुके हैं। वही भारत में भी हर दिन इस जानलेवा वायरस से संक्रमण क...


चीन के वुहान शहर से शुरू हुए कोरोना वायरस की चपेट में दुनियाभर के लाखों लोग आ चुके हैं। वही भारत में भी हर दिन इस जानलेवा वायरस से संक्रमण के नए मामले सामने आ रहे हैं। पिछले साल दिसंबर में कोरोना वायरस का मामला दुनिया के सामने आया और अबतक इससे 12 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 2.75 लाख से ज्यादा लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं।
कोरोना वायरस से निपटने के लिए भारत समेत दुनिया भर के कई देशों में रिसर्च हो रहे हैं। अमेरिका में तो इसके टीके का मानव शरीर पर परीक्षण भी किया जा चुका है।वहीं दूसरी ओर भारत, चीन और थाइलैंड समेत कई देशों ने इसके स्ट्रेन अलग करने में कामयाबी पा ली है, जिससे कोरोना की वैक्सीन या दवा बनाने में मदद मिलने की उम्मीद है।


लेकिन इस बीच एक भारतीय दवा कंपनी ने छह महीने के अंदर कोरोना वायरस का इलाज ढूंढ लेने का दावा किया है। खासकर सांस और फ्लू जैसी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए दवाएं बनाने वाली दिग्गज कंपनी सिप्ला(Cipla) के मालिक यूसुफ हमीद ने यह दावा किया है।
दुनिया भर के लाखों लोगों को अपनी चपेट में ले चुके कोरोना वायरस का अबतक इलाज नहीं ढूंढा जा सका है। कोरोना जांच के लिए जहां भारत समेत दुनिया की कई कंपनियों ने बेहद कम कीमत में कुछ घंटों में रिजल्ट देने वाली जांच किट तैयार करने का दावा किया है तो वहीं दूसरी ओर भारतीय फार्मा कंपनी सिप्ला के दावे ने उम्मीद जगा दी है।


टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में इस बारे में बताया है। रिपोर्ट के मुताबिक दवा कंपनी सिप्ला का दावा है कि वह महज 6 महीने के अंदर कोरोना वायरस का इलाज ढूंढ सकती है।
सिप्ला कंपनी अगर कोरोना वायरस का इलाज ढूंढने में सफल होती है तो वह ऐसा करने वाली दुनिया की पहली भारतीय कंपनी होगी और यह देश के लिए भी बड़ी कामयाबी होगी। रिपोर्ट में बताया गया है कि फिलहाल यह कंपनी सरकारी लैब के साथ मिलकर कोरोना वायरस की दवा विकसित करने में जुटी हुई है।
टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में सिप्ला कंपनी के प्रमोटर यूसुफ हामिद ने कहा कि हम अपने सभी संसाधनों को देश के फायदे के लिए लगाना राष्ट्रीय कर्तव्य मान रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी ने इन दवाओं का दोगुना उत्पादन कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि अगर भारतीय चिकित्सा फैटरनिटी निर्णय करता है तो कंपनी के पास और भी दवाएं हैं, जिसका इस्तेमाल फेफड़ों से जुड़ी गंभीर समस्याओं के इलाज में किया जा सकता है।