काशीपुर व्यापार मंडल चुनाव में एक बड़ा घोटाला निकल कर सामने आया है। व्यापार मंडल का चुनाव बिना रजिस्टर्ड संस्था के कराया जा रहा है और साथ ...
काशीपुर व्यापार मंडल चुनाव में एक बड़ा घोटाला निकल कर सामने आया है। व्यापार मंडल का चुनाव बिना रजिस्टर्ड संस्था के कराया जा रहा है और साथ ही हजारों मतदाता जो व्यापार से नहीं जुड़े हैं उनका भी रजिस्ट्रेशन करके उन्हें मतदाता बना दिया गया है। जिसको लेकर काशीपुर के एक शिकायतकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सदस्यता शुल्क के रूप में जमा धनराशि की भी जांच कराने की मांग की है न्यायालय ने डिप्टी रजिस्ट्रार फर्म सोसाइटी हल्द्वानी को 1 सप्ताह में जांच पूरी कर न्यायालय में रिपोर्ट उपलब्ध कराने के आदेश दिए हैं वही व्यापार मंडल के पदाधिकारियों ने भी कबूला है कि काशीपुर व्यापार मंडल का चुनाव बिना रजिस्टर्ड संस्था से कराया जा रहा है।बता दें कि काशीपुर में व्यापार मंडल का चुनाव आगामी 4 मार्च को होना है। चुनाव में मतदाता बनाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति से 250 रुपये का शुल्क लिया गया था। जिसमें 9287 मतदाता बनाए गए हैं। इन मतदाताओं में कई ऐसे मतदाता भी हैं जिनका व्यापार से कोई लेना-देना भी नहीं है। कई लोग रिक्शा चालक, खोखा फड़ लगाने वाले और कई ऐसे लोग हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे हैं। जिनका व्यापार से कोई मतलब ही नहीं है। लेकिन चुनाव अधिकारियों द्वारा इन्हें व्यापार मंडल चुनाव में 250 रुपए सदस्यता शुल्क लेकर मतदाता बना दिया गया है। यही नहीं काशीपुर का व्यापार मंडल चुनाव बिना रजिस्टर्ड संस्था के भी कराया जा रहा है। काशीपुर में इस बार व्यापार मंडल चुनाव प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल के अंतर्गत कराया जा रहा है जो एक बिना रजिस्टर्ड संस्था है। जिसका बैंक में कोई भी खाता नहीं है। जिसको लेकर काशीपुर के विजय कुमार मल्होत्रा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। विजय कुमार मल्होत्रा ने बताया कि फर्जी मतदाता बनाकर व्यापार मंडल चुनाव को गुमराह किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रांतीय उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल की जगह काशीपुर में इस बार प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल के अंतर्गत चुनाव कराया जा रहा है जो मात्र पैसों की बंदरबांट करने के लिए किया जा रहा है।
वहीं जब इस मामले में व्यापार मंडल के प्रदेश सचिव अनिल अग्रवाल से बात की गई तो उन्होंने खुद ही साबित कर दिया कि काशीपुर में जो व्यापार मंडल चुनाव कराया जा रहा है वह संस्था रजिस्टर्ड नहीं है जो प्रांतीय उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल का मात्र 1 सदस्य है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि लाखों रुपए की रकम को रजिस्टर्ड संस्था के खाते में रखा जाएगा।
जहां एक तरफ चुनाव अधिकारी निष्पक्ष चुनाव कराने की बात कर रहे हैं तो वहीं बिना रजिस्टर्ड संस्था के काशीपुर का व्यापार मंडल चुनाव करा दिया जा रहा है। यही नहीं फर्जी मतदाता बनाकर लोगों को गुमराह करने का भी प्रयास किया जा रहा है जो व्यापार मंडल चुनाव पर सवाल खड़े कर रहा है। अब ऐसे में कैसे साबित होगा कि काशीपुर व्यापार मंडल चुनाव के लिए जमा हुआ मतदाताओं का पैसा किसके खाते में जाएगा और कैसे इसका उपयोग होगा। क्या चुनाव अधिकारी चुनाव की आड़ में इस पैसों की बंदरबांट करने में लगे हैं जो एक बड़ा सवाल बन कर सामने आ रहा है। इतना सब होने के बाद भी प्रशासन इस पर कोई एक्शन लेता दिखाई नहीं दे रहा है। अब देखने की बात है कि क्या प्रशासन पूर्व में सदस्यता शुल्क के रूप जमा धनराशि तथा वर्तमान में सदस्यताा शुल्क के रूप में जमाा धनराशि की प्रशासनिक अधिकारी व्यापार मंडल चुनाव की जांच करेंगे या व्यापार मंडल चुनाव के नाम पर मात्र एक खानापूर्ति बनकर यह चुनाव संपन्न हो जाएगा। या सदस्यता शुल्क के रूप मैं जमा हुई मोटी रकम यूं ही बंदरबांट होती रहेगी या इसका कोई खुलासाा भी हो सकेगा जिससे पता लग सके की सदस्यता शुल्क के रूप में जमा धनराशि व्यापारियों के हित में उपयोग की गई है या धन का दुरुपयोग किया गया है यह सब जांच के बाद ही दूध का दूध पानी का पानी हो सकेगा