उत्तराखंड की जनता ने तीन साल पहले जिस सरकार को बड़ी आशा और उम्मीद के साथ भारी बहुमत देकर चुना था, उस डबल इंजन की सरकार ने इन तीन सालों में द...
उत्तराखंड की जनता ने तीन साल पहले जिस सरकार को बड़ी आशा और उम्मीद के साथ भारी बहुमत देकर चुना था, उस डबल इंजन की सरकार ने इन तीन सालों में देवभूमि की जनता को छलने और ठगने का काम किया है।
विधायक एवं प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष विजयपाल सजवाण ने बीजेपी सरकार पर आरोपों की जड़ी लगा दी.
सरकार ने भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए पहले विधानसभा सत्र में लोकायुक्त बिल पेश करते हुए लोकायुक्त की नियुक्ति की बात कही लेकिन सरकार ने लोकायुक्त बिल को ठन्डे बस्ते में डाल कर जनता के विश्वास पर पहली चोट पहुंचाई है।
राज्य के बेरोजगार नौजवानों को गुमराह कर उनके वोट के माध्यम से सत्ता हासिल करने वाली भाजपा के राज में राज्य की बेरोजगारी दर 14% से अधिक पहुँच गई है जो देश की बेरोजगारी दर से दोगुनी है। सरकार ने अपने पहले साल में 150 से अधिक शराब की नई दुकानें खोलकर राज्य में शराब की बिक्री को बढ़ावा देने के साथ गांव-गांव तक शराब पहुँचाने व इस साल शराब के दाम कम करके नौजवानों को रोजगार के बजाय शराब की तरफ आकर्षित करने का पाप किया है।
राज्य के 25000 रिक्त पदों पर पिछले तीन सालो में सरकार द्वारा बेरोजगार नौजवानों को नौकरिया न देने, अतिथि शिक्षकों का समायोजन न करने के कारण राज्य का नौजवान रोजगार पाने के लिए दर-दर भटक रहा है, लेकिन सरकार को कोई चिंता नहीं है।
राज्य का किसान कर्ज के बोझ तले इतना दब गया है कि राज्य में भाजपा के शासन में पहली बार किसानो को आत्महत्या करने को मजबूर होना पड़ा है। राज्य में अब तक लगभग 13 किसान कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या कर चुके हैं। किसानो की आय दोगुना करने के बजाय किसानो की फसलों का उचित दाम न मिलने के कारण किसानो की आय आधी रह गई है। जंगली जानवरों से किसानों की फसलों की सुरक्षा के समुचित उपाय न किये जाने के कारण किसान खेती से विमुख हो रहे हैं, जिस पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है। नगदी फसलों का समर्थन मूल्य घोषित न होने से भी किसान लगातार उचित दाम न मिलने से हताश है।
देश में व्याप्त आर्थिक मंदी की मार से पीड़ित उत्तराखंड के उद्योगपति सरकार की तरफ से किसी प्रकार का सकारात्मक भरोसा न मिलने के कारण राज्य में कई औद्योगिक इकाइयाँ बंद हो गई है, इनमे काम करने वाले कामगार बेरोजगार हो गए है।
भाजपा सरकार ने पार्टी के दृष्टिपत्र में इंगित शिक्षा के व्यावसायीकरण व शैक्षिक भ्रष्टाचार पर रोक लगाने, जनपद में छात्राओं के लिए आवासीय विद्यालय खोलने, शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की नियुक्ति, विश्वविद्यालयों में मुफ्त वाई-फाई लगाने का वादा भूल गई है। मेडिकल कालेजों को समृद्ध बनाने, कुपोषण दूर करने, सरकारी अस्पताल की हालत सुधारने के दावे भी हवाई साबित हुए हैं।
उत्तरकाशी मे स्वास्थ्य, पेयजल, शिक्षा और यातायात जैसी महत्वपूर्ण व्यवस्थाएं पूरी तरह से पटरी से उतर चुकी है। जिले के सरकारी अस्पताल जहां बदहाल व्यवस्था से जूझ रहे है वही तिलोथ, जोशियाड़ा, दिलशोड़, चामकोट और गंगोरी जैसे सामरिक दृष्टि के महत्वपूर्ण पुल सरकार की नाकामयाबियों को जगजाहिर कर रहे है।
नगर क्षेत्र उत्तरकाशी में विकराल होती कूड़े की समस्या का निस्तारण करने में सरकार पूरी तरह विफल साबित हुई है, उल्टा राजनीतिक विद्वेष के कारण नगरपालिका के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप कर पालिका के प्रयासों में भी रोड़ा उत्पन्न कर रहे है।
सरकार अपनी 3 साल की उपलब्धियों जो कि शून्य है के नाम पर एक बार फिर जनता को गुमराह करने की कोशिश में आज की ज्वलंत समस्या COVID 19 जैसी वैश्विक महामारी से राज्य की जनता के बचाव के उपाय करने से भाग रही थी, इसको महामारी घोषित करने के बाद भी अभी तक इसकी रोकथाम के समुचित उपाय नहीं किये गए हैं. जिलेवार आइसोलेसन केंद्र अब तक भी नहीं बनाये गए हैं। टोलफ्री न० अभी तक सही तरीके से काम नहीं कर रहा है।