उत्तराखंड में कोरोनावायरस अपने पैर पूरी तरीके से पसार चुका है. लेकिन सरकार और स्वास्थ्य विभाग इसे रोकने में नाकाम ही साबित होता हुआ नजर आ रह...
उत्तराखंड में कोरोनावायरस अपने पैर पूरी तरीके से पसार चुका है. लेकिन सरकार और स्वास्थ्य विभाग इसे रोकने में नाकाम ही साबित होता हुआ नजर आ रहा है.
उत्तराखंड में बीते कुछ हफ्तों मे प्रदेश में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है. जिसका मुख्य कारण अभी तक प्रवासी लोगों को माना जा रहा है क्योंकि अधिकतर कोरोना पॉजिटिव मरीज अन्य राज्य से आए हुए प्रवासियों में ही पाया जा रहा है लेकिन ऐसे में एक बड़ा सवाल भी खड़ा होता है जब इतनी बड़ी तादाद में प्रवासियों को प्रदेश में वापस लाया गया तो उनकी स्वास्थ्य जांच बॉर्डर एरिया पर क्यों नहीं किया गया और यदि उनके सैंपल बॉर्डर एरिया में लिए गए तो रिपोर्ट आने में इतना समय कैसे लगा है प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या की बात करें तो 1145 पहुंच चुकी है और यह रोजाना बढ़ती ही जा रही है। सबसे खास बात तो यह है कि कोरोनावायरस का इलाज कर रहे डॉक्टर नर्स और कर्मचारी भी आप सुरक्षित नहीं है ताजा मामला राजधानी देहरादून के दून मेडिकल अस्पताल का है जहां अस्पताल की महिला डॉक्टर महिला नर्स और महिला सिक्योरिटी गार्ड को भी कोरोना की पुष्टि हुई है अब बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि जब प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल के डॉक्टर और नर्स ही सुरक्षित नहीं है तो अन्य लोग कैसे सुरक्षित रहेंगे
राज्य मे यदी इसी तरह से कोरोना वायरस के मरीजों की तादात बढती रहेगी तो सरकार और जिम्मेदार स्वास्थ्य महकमे को कोरोना जैसी घातक बीमारी के आगे बौना होने के अलाव और कोई रास्ता नहीं बचेगा
ऐसे में अब जरूरत है तो सरकार और स्वास्थ्य विभाग को चौकना रहने की क्योंकि स्वास्थ्य विभाग की मुखिया खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हैं और यदि मुख्यमंत्री के ही विभाग की यह स्थिति है तो आप अंदाजा लगा सकते है कि अन्य विभागों की क्या रूप रेखा होगी