आपको बताते चले कि साल 2016 में तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने एक शासनादेश जारी कर हरकी पैड़ी से निकलने वाली गंगा को स्कैप चैनल घोषित कर दिया था...
आपको बताते चले कि साल 2016 में तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने एक शासनादेश जारी कर हरकी पैड़ी से निकलने वाली गंगा को स्कैप चैनल घोषित कर दिया था. तभी से साधु और संत इस शासनादेश को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं. मंगलवार को अपनी इस गलती पर हरदा ने मांफी भी मांगी थी.
इस बारे में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने कहा कि हरीश रावत पहले अपनी सरकार में काम बिगाड़ते है और फिर बाद में माफी मांगते हैं. पतित पावनी मां गंगा को नहर कहकर उन्होंने गंगा का अपमान किया है. आज वे सत्ता में नहीं हैं तो कह रहे कि उनसे गलती हो गई है, अब त्रिवेंद्र सरकार इसे संभाले. त्रिवेंद्र सरकार अपना काम कर रही है. हरीश रावत ने जो गलत किया है उसे सही किया जाएगा.
इस पर आज बयान देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा की मुख्यमंत्री जी ने माना है कि हरीश रावत ने प्रायश्चित किया है तो मैं मुख्यमंत्री से कहना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री कब प्राश्चित कर रहे हैं क्योंकि हरीश रावत ने दिसंबर 2016 में शासनादेश जारी किया था और मेरी सरकार कुछ ही दिनों के बाद चली गई थी लेकिन यह सरकार तो 3 साल से सरकार में है और निरंतर यह मांग उठ रही है कि इस शासनादेश को निरस्त किया जाए तो अब मुख्य मंत्री कब तक प्राश्चित करना चाह रहे हैं और कब शासनादेश को समाप्त करने जा रहे हैं यह मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को बताना चाहिए साथ ही उन्हों ने प्रदेश अध्यक्ष भगत दा पर भी निशाना साधते हुए कहा की जो उनके ढोलची भगत जी है उन्होंने कहा कि ये बिल्डर्स को फायदा पहुचने के लिए किया गया था मेरी सरकार तो कुछ ही दिन रही क्या 3 साल से इस कानून को इस लिए बनाए रखी है कि बिल्डर्स को लाभ मिले